
ऐतिहासिक विरासत
ऐतिहासिक विरासत को संजोय हुए लाडो सराय गांव
ऐतिहासिक विरासत
साउथ दिल्ली : (अर्श न्यूज़) -ऐतिहासिक विरासत को संजोय हुए लाडो सराय गांव पूरी दिल्ली में एक ऐतिहासिक गांव है जो ऐतिहासिक कुतुबमीनार और ऐतिहासिक मेहरौली जहा पर मुग़ल काल के भूल भुलैया है उसके पास बसा है।
ऐसे तो पूरी दिल्ली मैं 52 सराय नामांकित गांव है, दक्षिणी दिल्ली में मेहरौली बदरपुर रोड पर स्तिथ है लाडो सराय गांव 240 बीघे में फैले और 740 घर वाले जाट बहुल इलाका है ये जिसकी उम्र लगभग 850 साल पुरानी है जिसने लगभग 700 वर्षो तक मुस्लिमो और अंग्रेजो के बुरे साशन का अकेले सामना किया लेकिन किसी भी संस्कृति को स्वीकार नहीं किया और बदलाव के इस दौर में इनकी ससंकृति को इनके घरो में भलीभाती पहचाना जा सकता है
ऐतिहासिक विरासत
इस गांव के इतिहास के बारे में स्थानीय निवासी चौधरी नरेंद्र सिंह सेजवाल ने बताया की बारहवीं शताब्दी में हिन्दू राजा पृथ्वीराज चौहान लाडो नाम की एक लड़की को बोला की तुम जहा तक घूमोगी उसको हम सराय बना देंगे उस लड़की ने जीतनी दूर भी घुमा उसको पृथ्वीराज चौहान लाडो नाम से सराय बना दिया और जिसे बाद में लाडो सराय गांव के नाम से जाना गया वही दूसरी तरफ चौधरी जोगेंद्र सिंह सेजवाल ने इतिहास के दूसरा पक्ष रखते हुए बताया की हमलोगो के वंसज लाड सिंह थे जो कनौज के राजा जयचंद के फौज में थे और उन्होंने अपने चार बेटो के साथ इस गांव की नीव पृथ्वीराज चौहान को परास्त करने के बाद रखी थी गांव के स्थानीय निवासी एक सुर में इस बात को जरूर कहते है की हमारे पूर्वजो ने मुस्लिम अकरंताओ के हर जुल्म को झेला लेकिन अपनी संस्कृति और अपने धर्म के साथ हमेशा खड़े रहे। इन सबके अलावा एक और इतिहास है इस गांव का लगभग सत्तर वर्ष के कर्णपाल सिंह ने मुझे बताया इतिहास तीन प्रकार का होता है। एक वह है जो स्कूली किताबों में लिखा होता है। यह सत्ता में बैठे लोगों द्वारा लिखा गया है और इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
ऐतिहासिक विरासत
फिर उस व्यक्ति का इतिहास है जो किताबों के साथ बैठता है और अपने लिए अतीत को समझने की कोशिश करता है। तीसरी है मौखिक परंपरा जिसे लोग अपने पूर्वजों द्वारा बताए गए शब्दों से याद करते हैं।
इसी क्रम में करणपाल जी ने बताया की एक दिन अपने बुढ़ापे में अच्छे राजा अनंग पाल तोमर ने लंबी तीर्थ यात्रा पर जाने का फैसला किया और दो रिश्तेदारों पृथ्वीराज और जयचंद की देखभाल में राज्य छोड़ दिया। पृथ्वीराज को दिल्ली और अजमेर की कस्टडी दी गई जबकि जयचंद ने कन्नौज की देखभाल की।
पृथ्वीराज ने अनंगपाल से कहा कि उसकी हिरासत बेकार है जब तक कि उसके पास वह अधिकार न हो जिस पर अन्य राजा विश्वास करेंगे। उसने कहा, “मुझे इसे लिखित रूप में दें।” “कोई भी राजा पृथ्वीराज की अनुमति के बिना दिल्ली में प्रवेश नहीं कर सकता।” इसलिए अनंगपाल ने उसे लिखित रूप में दिया, और अपनी तीर्थ यात्रा पर चला गया। कुछ समय बाद, जब वह अपने नगर को लौटा, तो उसके लिए फाटक बन्द कर दिए गए थे। पृथ्वीराज की अनुमति के बिना कोई भी राजा दिल्ली में प्रवेश नहीं कर सकता। और इसलिए हुआ कि पृथ्वीराज दिल्ली पर शासन करने आए।
फ्लैशबैक। अफगानिस्तान के एक व्यापारी ने भारत के साथ व्यापार शुरू करने का फैसला किया और इस तरह अपने व्यापार और अपने मुनाफे का विस्तार किया। इसलिए वह अपना माल ऊंटों पर लादकर भारत आया, और अपनी खूबसूरत बेटी के साथ जोरदार लेकिन निःसंतान राजा अनंगपाल तोमर के दरबार में आया। उन्होंने अंगपाल को अपनी बेटी की शादी की पेशकश की। “मुझे पता है कि तुम्हारे साथ उसके बच्चे होंगे।”
विवाह संपन्न हो गया था, बच्चे की कल्पना की गई थी, लेकिन बड़ी, रानी को जलन हो रही थी। जब छोटी रानी गर्भवती थी तो उसने अनगपाल को मिलने से मना किया, और जब बच्चा पैदा हुआ, तो उसने उसे संस्कृत में घोर कचरे के ढेर पर फेंक दिया।
बच्चे को एक निःसंतान कुम्हार ने गोद में उठा लिया था, जिसने बाद में उसे अपने रूप में पाला। जब बच्चा सात साल का था, तब राजा अनंगपाल ने एक फैसला सुनाया जिससे उसकी प्रजा असंतुष्ट हो गई। कुम्हार के बेटे ने एक और तरीका सुझाया जिससे फैसला किया जा सके। खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और महल तक पहुंच गई।
राजा के क्रोध के डर से, महल से एक नौकर ने जाकर कुम्हार को बताया कि उसका बेटा वास्तव में कौन है, और उसे बच्चे को अफगानिस्तान भेजने के लिए कहा, उसके दादा के पास।
वर्षों बाद मोहम्मद गोरी ने अपनी विरासत को पुनः प्राप्त करने के लिए दिल्ली पर चढ़ाई की, और जयचंद उसके साथ शामिल हो गए। पृथ्वीराज की हार हुई। लाड सिंह, जयचंद की सेना में एक सैनिक, जो लाडो सराय गांव बनने वाला था, में बस गया। उनके चार बेटे चार गुंबददार संरचनाओं में रहते थे, चार गुंबद जो उनके बसने से पहले वहां मौजूद थे, और इन गुंबदों के आसपास विकसित गांव।मुस्लिम शासको से जुड़े 5 मकबरे को आज भी भारत सरकार ने ऐतिहासिक अवशेषों के तौर पर सरंक्षित किया है और कुछ मकबरो के अवशेष देखे जा सकते है। अगर हम सामाजिक संस्कृति की बात करे तो ये गांव एक आदर्श गांव की तस्वीर पेश करता है यहाँ पर 20 से 25 फीसदी अनुसूचित जाती के लोग रहते है लेकिन कभीं भी सामाजिक तनाव का कोई उदाहरण आज तक के लाडो सराय गांव के इतिहास में नजर नहीं आया। इसकी शायद बड़ी वजह है की यहाँ के जाटो ने कभी भी इस गांव को जाती आधारित सामाजिक बटवारा को कभी आधार नहीं माना और किसी ने किसी का घर नहीं कब्जाया। यहाँ हर जाती का अपना अपना पंचायत्त घर है और इस तरह से कुल 8 पंचायत घर है इस लाडो सराय गांव में। सबसे खूबसूरत बात जो इस गांव को और खूबसूरत बनाती है वो है की आज भी इस गांव में दहेज़ के रूप मे 1 रूपए का सिक्का चढ़ाने का रिवाज है जो shuruat से abhi तक चलती आ रही है जिससे यहाँ के लोगो को लड़की की शादी में ज्यादा सोचना नहीं पड़ता है। हा 1982 में खेती की जमीं अधिग्रहन होने के बाद जीवन जीने के लेकिन बाद में गांव वालो ने 1990 आते आते कमिटीवादी बैंकिंग व्यवस्था के सहारे नए नए मकान बना लिए और किराये पर लगा दिए यही इनके जीवन यापन का एक महत्पूर्ण अंग बन गया।
आज लाडो सराय गांव में सारी मूलभूत सुबिधाय उपलब्द है । पहले के लाडो सराय गांव में और आज के लाडो सराय गांव में बहुत सारे बदलाव आये है एक समय था जब लाडो सराय में पीने के पानी की बहुत ज्यादा दिक्कत थी लोग रात में उठ उठ के पानी भरते थे और पानी भी बहुत कम समय के लिए आती थी लेकिन आज लाडो सराय गांव में पुरे दक्षिणी दिल्ली में सबसे ज्यादा पानी की व्यवस्था अच्छी है।
आज लाडो सराय गांव एक आदर्श गांव के रूप में जाना जाता है, एक आदर्श गांव में जो सुविधा होनी चाहिए वो सारी सुविधाय है पीने के पानी की सुविधा अच्छे सड़को की सुविधा आवागमन की अच्छी सुविधा मेट्रो बस की सुविधा पास में एयरपोर्ट है। लाडो सराय गांव हरियाली के मामले में भी काफी अच्छा है चारो तरफ गांव के पेड़ पौधे है, लाडो सराय गांव में काफी पार्क है जिसमे काफी पौधे लगे है जो पर्यावरण को स्वच्छ रखते है।
आज का लाडो सराय गांव अपने आर्ट गैलरी के लिए जाना जाता है, यहाँ पर काफी आर्ट गैलरी है जहा लोग दूर दूर से पेंटिंग खरीदने आते है।
लाडो सराय गांव में अब काफी अच्छी शिक्षण संस्थाय भी है जिसमे से एक है MADE EASY जहा पर GATE ,PSUs ऐसे जैसे प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी कराई जाती है जहाँ भारत के कोने कोने से छात्र छात्राय प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी करने आते है। यहाँ छात्रों को पढ़ने की सारी सुविधाय मौजूद है मसलन लाइब्रेरी जहाँ पर छात्र छात्राय आराम से अपनी पढ़ाई कर सकते है। आज के लाडो सराय एक शिक्षण हब के रूप मैं जाना जाने लगा है,हर नुकड़ चौक चौराहो पर आपको छात्र छात्राय दिख जायेंगे चाय की दुकान पर चाय पीते हुए या जूस के दुकान पर जूस पीते हुए।
एक आधुनिक में गांव जो जो सुविधाय होनी चाहिए वो सारी सुविधाय मौजूद है लाडो सराय गांव में कुल मिलाकर आज का लाडो सराय गांव एक आधुनिक गांव है।


