
पवित्र नदी का संरक्षण: यमुना नदी के लिए संरक्षण की चुनौतियाँ-जय भगवान गोयल
पवित्र नदी का संरक्षण: यमुना नदी के लिए संरक्षण की चुनौतियाँ-जय भगवान गोयल
शहादरा जिला : (अर्श न्यूज़) – पिछले 9 वर्ष से यमुना नदी को साफ करने का वादा सरकार करती आ रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कई बार कह चुके हैं कि वह खुद यमुना में डुबकी लगाकर दिखाएंगे। लेकिन यमुना आज तक डुबकी लगाना तो दूर स्पर्श करने लायक भी नहीं हुई है। इसमें सिर्फ दो बड़ी चुनौतियां हैं।
पवित्र नदी का संरक्षण: यमुना नदी के लिए संरक्षण की चुनौतियाँ-जय भगवान गोयल
एक दिल्ली की सरकार में जिम्मेदारी की भावना का अभाव और दूसरे लक्ष्य के प्रति अस्पष्टता। यहां प्रतिदिन 3,538 मीट्रिक लीटर अपशिष्ट जल 19 नालों के माध्यम से नदी में गिर रहा है। दिल्ली सरकार इस मामले को लेकर पूरी तरह लापरवाह है। नालों का पानी साफ करने को लेकर नई घोषणा और नई तारीख दे दी जाती है, लेकिन वास्तव में ऐसा भी प्रयास नहीं किया गया है कि इन नालों में कचरा न गिरने पाए। क्या करना चाहते हैं-यही स्पष्ट नहीं है और न ही कोई समयबद्ध कार्यक्रम है।
पवित्र नदी का संरक्षण: यमुना नदी के लिए संरक्षण की चुनौतियाँ-जय भगवान गोयल

मुख्य चुनौती सरकारी उदासीनता की है। दिल्ली के नाले कानपुर के नाले से तो बड़े नहीं हैं। कानपुर ने गंगा को स्वच्छ करने का काम कर दिखाया है और
इच्छाशक्ति हो तो यही काम दिल्ली में भी हो सकता है।
यह नदी हमारी पर्यावरण ही नहीं सांस्कृतिक धरोहर भी है। इतिहास गवाह है कि प्रदूषित नदियां सभ्यताओं के पतन का कारण बनी हैं। ऐसा लगता है कि तीसरी चुनौती इसी से जुड़ी है।
पवित्र नदी का संरक्षण: यमुना नदी के लिए संरक्षण की चुनौतियाँ-जय भगवान गोयल
यमुना के संरक्षण के लिए कई तरह के सख्त नियम भी आवश्यक हैं और उनका सख्त क्रियान्वयन भी आवश्यक है। लेकिन अगर नदी के संरक्षण को लेकर गंभीरता दिखाई जाएगी, सख्त कानून होंगे, तो उसका असर राजनीतिक अराजकता पर भी पड़ेगा। अभी दिल्ली में प्रदूषण को राजनीतिक अराजकता का अधिकार बना दिया गया है। इसी तरह नदी किनारे की झुग्गी बस्तियां हैं। मुंबई धारावी का पुनर्निर्माण करने जा रही है, लेकिन दिल्ली सरकार अपना राजनीतिक नफा-नुकसान पहले देखती है। शायद इसीलिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।-
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